प्रेमानंद महाराज जी के अनुसार एक गृहस्थ आदमी को
भंडारे में खाना नहीं चाहिए। प्रेमानंद महाराज जी के
अनुसार जो भंडारा कराता है। वो अपने पाप धोने के लिए
कराता है। अगर गृहस्थ आदमी उस भंडारे को खाता है।
तो वो आदमी पर भी पाप चढ़ जायेगा। क्योंकि जो
भंडारा करा रहा है। वह अपने पाप धोने के लिए
करा रहा है। इसलिए अगर आप उस भंडारे को
खाओगे तो आप पर भी उस व्यक्ति के पाप बट जायेगा।
इसलिए हमें अधिकतर भंडारे में खाने से बचना चाहिए।
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