श्री पूजनीय प्रेमानंद महाराज जी का कहना है।
कि पवित्र आचरणों के बिना संतो के वाक्यों के
रहस्य नहीं खुलते। अर्थात महाराज जी का
कहना है कि जिस व्यक्ति के आचरण पवित्र नहीं
होते हैं उन्हें संतो की वाणी समझ नहीं आती है।
इसलिए संतो की वाणी और वचनो को समझने के
लिए आचरण का पवित्र होना जरुरी है।
जिस व्यक्ति के आचरण पवित्र होते है। उन्हें
संतो की वाणी आसानी से समझ आ जाती है।
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