श्री प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि विषयी पुरुषों का
संग नरक गमन का कारन बनता है क्योंकि विषयी
पुरुषों का आचरण पवित्र नहीं होता हैविषयी पुरुषों का
मन हमेशा गंदे आचरण की तरफ रहता है। विषयी
पुरुष का मतलब होता है कामुक पुरुष। जिसे हमेशा
भोग विलास में ही रहने का मन करता है। इसलिए
हमें ऐसी संगत नहीं करनी चाहिए जिससे हमें बुरे
आचरण मिले। हमें हमेशा पवित्र आचरण रखने
बाले पुरुषों की ही संगत करनी चाहिए।
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