श्री हित प्रेमानंद महाराज जी ने कहा है कि जब
मनुष्य मनमानी आचरण करने लगया है तो उसके
अंत: करण में भय होने लगता है। क्योंकि जब
व्यक्ति अपनी मनमानी करने लगेगा और दूसरों की
नहीं सुनेगा तो दूसरे लोग उससे दूर हो जायेंगे।
वह व्यक्ति जो अपनी मनमानी करेगा वह अकेला
पड़ जायेगा। इसलिए उस व्यक्ति के अंदर एक
डर बैठ जायेगा। कि उसके साथ कोई नहीं है।
इसलिए हमें मनमानी आचरण नहीं करना चाहिए।
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